जब फ़साना हो विजय का, बात हो सम्मान की,
जब तरानों में जिकर हो शहीदों के जान की |
जब हवा खुशबू समेटे हिमालय से चल पड़े,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जब कटारें हाथ में ले चल पड़े सैनिक जहाँ,
और माटी के तिलक ने कर दिये बच्चे जवाँ |
जब सपूतों ने नहीं की कभी परवाह प्रान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
कारगिल से बज उठी धुन राष्ट्र के गुणगान की,
चूडियाँ दुल्हन की टूटी नये नौजवान की |
और जब वीरों ने जीती जंग स्वाभिमान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जहाँ हिन्दू - मुस्लिमों ने ईद और होली मनायी,
जहाँ ग्वाले श्याम ने थी रास लीलायें रचायी |
जो जमीं खुद दे गवाही शून्य के उत्थान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जहाँ कुछ पगडंडियाँ हों, फसल हो धन-धान की,
जहाँ बच्चे जानते हों बड़ों के सम्मान की |
और जब 'लता जी' गा उठी कुछ पंक्ति 'राष्ट्रगान' की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
एक है छत वो तिरंगा और एक अपनी धरा,
रख झुकाकर अपनी नजरें ऐ जहाँ तू सुन जरा |
चीरकर टुकड़े तेरे कर सकती है तलवार म्यान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जब तरानों में जिकर हो शहीदों के जान की |
जब हवा खुशबू समेटे हिमालय से चल पड़े,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जब कटारें हाथ में ले चल पड़े सैनिक जहाँ,
और माटी के तिलक ने कर दिये बच्चे जवाँ |
जब सपूतों ने नहीं की कभी परवाह प्रान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
कारगिल से बज उठी धुन राष्ट्र के गुणगान की,
चूडियाँ दुल्हन की टूटी नये नौजवान की |
और जब वीरों ने जीती जंग स्वाभिमान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जहाँ हिन्दू - मुस्लिमों ने ईद और होली मनायी,
जहाँ ग्वाले श्याम ने थी रास लीलायें रचायी |
जो जमीं खुद दे गवाही शून्य के उत्थान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
जहाँ कुछ पगडंडियाँ हों, फसल हो धन-धान की,
जहाँ बच्चे जानते हों बड़ों के सम्मान की |
और जब 'लता जी' गा उठी कुछ पंक्ति 'राष्ट्रगान' की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
एक है छत वो तिरंगा और एक अपनी धरा,
रख झुकाकर अपनी नजरें ऐ जहाँ तू सुन जरा |
चीरकर टुकड़े तेरे कर सकती है तलवार म्यान की,
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||
बस समझ लो हो रही है बात हिन्दोस्तान की ||