तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 31 March 2012

तुम्हारी खूबसूरती


तुम्हारी खूबसूरती देखकर तो कभी,
कभी खुदा भी सोचता होगा
कि ऐसी गलती कर गया मैं कैसे ?

ऐसी गलती कर गया मैं कैसे,
एक बनायी धरती मैंने
एक सूर्य,
एक गगन बनाया
पर कब, कहाँ, क्यों और कैसे मैं
इस जमीं पर दो चाँद उतार लाया ||

Sunday 25 March 2012

चाँद से इजहार


रात पूनम की,
स्वच्छ धवल आकाश
शबनम की बूँद से तारे
मैं खड़ा छत पर
सुनसान, वीरान अँधेरा
सुहाना मौसम
बातों में मशगूल
मैं और मेरी चंदा |

बहुत हँसी हैं वो
आज आँखों में काजल
बालों में गजरा सजा है |

मैंने पूछा, कैसी हो ?
ठीक हूँ, वो मुस्कुरायी |

तुम बड़ी खूब लगती हो
चन्दा हूँ, बादल नहीं
गर्व से भरा उत्तर मिला |

फिर मैं साहस जुटाकर बोला
मेरा कद कितना है ?
आकाश से कम |

मैं कितना सफ़र तय करूँगा ?
हवा से कम, पानी से कम |

मेरे दिल की सीमा ?
धरती से छोटी है, बहुत छोटी है |

मेरे दिल के शब्द फूट गये,
मुझे तुम्हारे साथ सफ़र तय करना है |
मुझे नभ से धरा का दर्शन करना है |
मुझे तुम्हारे संग जीना है, संग मरना है |
मेरा इज़हार पूरा हुआ ||

कोमल लबों से गर्जना हुयी
चन्दा को पाना खेल नहीं है
बादल होती तो टूटकर बरस जाती
धुप होती तो खिलकर चमक जाती
"मैं राजकन्या हूँ नभ की"
तुम्हारा हक़ सिर्फ दीदार करना है
हमें पाने की मुराद रखने वाले
अपने वजूद को जरा देख ले ||

मैंने अपना सर झुकाया
निराश को कमरे में लौट आया
या खुदा तुने भी क्या खेल खिलाया,
सच्चे आशिक के दिल को हरजाई से मिलाया ||

Saturday 24 March 2012

Major Gn (Rtd.) B. C. Khanduri... A Skilled Administrator...


ऐसा शायद ही राजनीतिक इतिहास में पहले कभी हुआ हो कि चुनाव हार जाने के बाद किसी राजनेता का कद पहले से भी बड़ा हो जाय | किन्तु मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चन्द्र खंडूरी एक ऐसे नेता हैं जिनका अपना प्रसंशक तबका है | यह कुछ ऐसा ही है जैसे कि भारतीय क्रिकेट टीम के हार जाने के बावजूद सचिन के प्रसंशक उनपर अपना भरोसा कायम रखते हैं | मुझे उत्तराखंड की राजनीति कुछ डोलती सी नजर आ रही है | संभवतः मुख्यमंत्री का फैसला कल युवराज की माताजी दस जनपथ में कर देंगी और जहाँ तक मुझे लगता है, प्रोफेसर रावत बाजी मार लेंगे | कांग्रेस ने बिना किसी की अगुवाई में चुनाव लड़ा और अब विचार हो रहा है मुख्यमंत्री पर लेकिंग भाजपा ने १ नाम के नीचे चुनाव लड़ा और कमोबेश सफलता भी मिली | खंडूरी जी के हार जाने से ये कहना की ३१ सीटें उनकी बदौलत नहीं मिली, नाइंसाफी होगा |


फेसबुक पर लगावत कई प्रकार के पोस्ट देखकर यह लेख लिखने की इच्छा हुई | यह किसी पार्टी विशेष से प्रेरित होकर नहीं लिखा गया है किन्तु १ सच्चे और ईमानदार राजनेता के लिए लिखा गया है | और जो भी इसका विरोध करना चाहें, सादर आमंत्रित हैं | मैं कांग्रेस पार्टी से सिर्फ यही चाहता हूँ कि लोकपाल कानून को भंग ना करे |मुझे हरीश रावत जी के मुख्यमंत्री बनने पर प्रसन्नता होती मगर राज्यसुख की लिप्सा सब कुछ बर्बाद कर देती है | खैर... 


मुझे आज भी याद है ४ साल पहले राजेंद्र सिंह भंडारी (पूर्व युवा एवं खेल मंत्री-उत्तराखंड) का दिया गया वो भाषण जिसमे उन्होंने श्री खंडूरी कि सराहना करते हुए कहा था कि मैं कभी उनका साथ नही छोड़उगा | जहाँ खंडूरी जी जायेंगे मैं वहीँ जाऊंगा | यह राजनीति है, सब चलता है भैया | अपने अपने नहीं रहते तो परायों से कैसा शिकवा....


यह तो सभी जानते हैं कि कौन कितना मैला है | यही कारण है कि खंडूरी जी कि लोकप्रियता बढ़ रही है और निशंक साहब को हर कोई जीतने के बावजूद खरी-खोटी सुना रहा है| जहाँ तक मुझे नजर आ रहा है, खंडूरी केंद्र कि राजनीति में वापस जा सकते हैं, जिसके २ कारण हैं :१) २०१४ में भाजपा हर लोकसभा सीट को गंभीरता से लेगी और वैसे भी इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी श्री टी. पी. एस. रावत साहब बगावत कर चुके हैं और यह सीट श्री महाराज जी के पास है |२) राज्य में श्री खंडूरी के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है, और एक सफल प्रशाषक की हैसियत से उन्हें जल्द ही मजबूत स्थिति दी जानी चाहिए |


खैर मैं किसी पार्टी विशेष कि तरफदारी नहीं करता, मैं व्यक्ति-विशेष पर भरोषा करता हूँ|  उत्तर प्रदेश में जीजा जी मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, जीजा जी इसलिए क्योंकि अखिलेश जी कि धर्मंपत्नी श्रीमती डिम्पल रावत यादव जी उत्तराखंड से ही ताल्लुकात रखती हैं | शुभ कामनाये |


इसी उम्मीद के साथ कि प्रचंड सूरज खंडूरी कभी अस्त नहीं होगा :


आशीष नैथानी/हैदराबाद......