तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Monday 26 June 2017

"रात" का एक टुकड़ा

रात न हो तो चाँद का अहसास न हो
न हो पूर्णिमा-अमावस का भेद
त्यौहारों का जाने क्या हो,
कविताओं का भी

रात न हो तो जुगनुओं की कहानियाँ न हों
तारों के अस्तित्व पर लग जाए प्रश्नचिह्न
और सुबह के वजूद पर भी !!

© आशीष नैथानी !!

No comments:

Post a Comment